“ कविता का अंतिम लक्ष्य जगत के मार्मिक पक्षों का प्रत्यक्षीकरण करके मनुष्य हृदय का सामान्य स्थापना हैं ” – आचार्यरामचन्द्रशुक्ल “ उत्तम साहित्य की सृष्टि करना ही सबसे बड़ी बात नहीं है। सम्पूर्ण समाज को इस प्रकार सचेतन बना देना परमावश्यक है जो उस उत्तम रचना को अपने जीवन में उतार सके ” – आचार्यहजारीप्रसादद्विवेदी “साहित्य के मर्म को समझने का अर्थ है—वास्तव में मानव-जीवन के सत्य को समझना। साहित्य अपने व्यापक अर्थ में मानव-जीवन की गंभीर व्याख्या है ” – सुमित्रानंदनपन्त “ कविता का एक मतलब यह भी है कि आप आज तक और अब तक कितना आदमी हो सके ” – धूमिल “ नए औरपुरानेकाभेदउम्रमेंबंटी हुईपीढ़ियोंकानहीं, वैचारिकस्तरपरउसकीवस्तुसेऔरसांस्कारिकस्तरपरदोतरहसेजीने-सोचनेवालीपीढ़ियोंकाभेदहैं”– कमलेश्वर “ कला और साहित्य के नियमभौतिक जगत तथामानवसमाज के विकास के साथ-साथ निश्चित नियमों के अनुसार परिवर्तित होते रहते हैं ” – ओमप्रकाशवाल्मीकि “ भोगे और झेले हुए यथार्थ की प्रमाणिकता को जब तक तटस्थ और अलग आदमी की दृष्टि से नहीं देखा जाएगा तब तक न तो परिवेश की संपूर्णता पकड़ में आ सकती है, न व्यापक अन्विति ” – राजेन्द्रयादव

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कामेंग ई-पत्रिका

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'कामेंग' शब्द नदी की बहती गति और भारतीय गौरव गाथा का परिचायक है। अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में गौरी सेन पर्वत के एक ग्लेशियर से निकलकर 'कामेंग' नदी असम के सोनितपुर जिले में प्रवेश करती है। यह तेजपुर में कलियाभोमोरा सेतु में ब्रह्मपुत्र नदी में मिलती है। इसे असम में जियाभराली के नाम से जाना जाता है।

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  1. स्त्री केन्द्रित मुद्दों पर बहु-विषयक अकादमिक अनुसंधान का प्रसार करना।
  2. पूर्वोत्तर भारत के साथ-साथ समस्त भारत के समृद्ध सांस्कृतिक विविधता और अनूठी परंपराओं को साहित्य के माध्यम से अखिल भारतीय स्तर और वैश्विक मंच पर ले जाना।
  3. पूर्वोत्तर भारत के भाषा साहित्य के अनुवाद पक्ष पर जोर देना।
  4. समाज में साहित्यिक परिप्रेक्ष्य प्रदान कर नवाचार करने की संज्ञानात्मक क्षमता विकसित करना।
  5. हिंदीतर क्षेत्रों में हिंदी भाषा की बोधगम्य एवं सुलभ कला- संस्कृति का उन्नयन करना।

'कामेंग' शब्द नदी की बहती गति और भारतीय गौरव गाथा का परिचायक है। अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में गौरी सेन पर्वत के एक ग्लेशियर से निकलकर 'कामेंग' नदी असम के शोणितपुर जिले में प्रवेश करती है। यह तेजपुर में कलियाभोमोरा सेतु में ब्रह्मपुत्र नदी में मिलती है। इसे असम में जियाभरली के नाम से जाना जाता है। यह नदी दमन, रूढ़िवादिता तथा अभाव के पथरीले उतार-चढ़ावों से गुजरने वाली निरंतर संघर्षरत मानव सभ्यता व अस्तित्व का प्रतीक हैं।नदी विभिन्न सभ्यताओं और संस्कृति के समन्वय का जीता जागता उदाहरण है।

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