सहकर्मी समीक्षा जर्नल
Peer reviewed Journal
ISSN : 3048-9040 (Online)
साहित्यिक पत्रिका
Literary Journal
कामेंग अर्धवार्षिक ई-पत्रिका/सहकर्मी समीक्षा जर्नल/जुलाई - दिसंबर,2024/खण्ड-1/अंक-1
Received: 10 Apr, 2025 | Accepted: 10 Apr, 2025 | Published online: 11 Apr, 2025 | Page No: 0 | URL: 0
पिछले कुछ सालों से इज्जत के नाम पर हत्या की बहस कम होते दिख रही है, पर इसका तात्पर्य यह बिल्कुल भी नहीं लगाया जा सकता की इस प्रकार की हिंसा में कमी हुई है। यह आलेख भारत में इज्जत के नाम पर होने वाली हिंसा के बदलते स्वरूप के माध्यम से यह दर्शाने की कोशिश करता है की समाज के रूप में हमें उन सारे क्षेत्रों का ध्यान रखने की जरूरत है जहां इस प्रकार की हिंसा अलग-अलग स्वरूपों में घटती है। भारतीय समाज में पितृसत्तात्मकता की जड़े इतनी गहरी हैं कि समाज की प्रत्येक गतिविधि पर इसका असर होता है। यहीं कारण है कि इज्जत के नाम पर होने वाली हत्याओं को उजागिर नहीं होने दिया जाता है। समाज बदल जाने पर इसके स्वरूप में भी परिवर्तन दिखाई देता है। प्रस्तुत आलेख में इज्जत के नाम पर होने वाली हत्याओं के विविध पक्षों की गहन पड़ताल करने की कोशिश की गयी है।
इज्जत, जातिगत हिंसा, अपराध, रिपोर्टिंग, खाप पंचायत, महिला आंदोलन, लोककथा
इज़्ज़त के नाम पर होने वाले अपराध भारत में नए नहीं हैं। भारत में कई लोक कथाएँ, संबंधों / विवाह के संबंध में युवाओं द्वारा उठाए गए कदमों पर हिंसा से जुड़ा हुआ रहा है । नारायण (2003) चुहरामल और रेशमा की एक पुरानी कहानी को प्रस्तुत किया है । चुहरामल एक दुसाद (दलित) लड़का था और रेशमा एक भूमिहार (बिहार और यू.पी. की ऊंचे जाति) थी। वे एक दूसरे के साथ संबंध में थे और रेशमा के भाई और पिता के हमले के बाद मारे गए थे। इस क्षेत्र के दलितों के लिए यह लोकगीत, लोककथा एक प्रेरक भूमिका निभाता है और हर साल बिहार के कुछ इलाकों में दलितों द्वारा चुहरामल की वीरता का जश्न मनाने के लिए एक मेले को आयोजित किया जाता है, लेकिन साथ ही उनकी कहानी पर आधारित नाटक भूमिहारों द्वारा पसंद नहीं किया जाता है । वह इस नाटक के मंचन होने पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैं । वह इस नाटक को अपनी जाति के अपमान के रूप में देखते हैं । कई अन्य लोककथाओं में ऐसे कई अन्य उदाहरण मिल सकते हैं। यद्यपि हिंसा का ऐसा कार्य लंबे समय से किया गया है, लेकिन पश्चिमी मीडिया ने इज़्ज़त के नाम पर होने वाले हत्यायों और अपराधों का यह मौज़ूदा नामकरण किया है। अगर इज़्ज़त के नाम पर अपराध के वैश्विक परिदृश्य पर गौर किया जाये , तो जैसा कि वेल्शमैन और हुसैन (2005) ने बताया है , इज़्ज़त के नाम पर हत्याओं की ख़बरों में इज़ाफ़ा विशेष रूप से दो महिलाओं, पाकिस्तान में समिया सरवार और UK में रुखसाना नाज, के उनके परिवारों द्वारा हुई हत्या के बाद हुआ । इन दोनों हत्याओं के बाद मिडिया ने पहली बार ‘ऑनर किलिंग’ शब्द का सीधे सीधे प्रयोग किया, ऐसे हत्याओं पर परिवार, सरकार और अन्य लोगों के मत को प्रकाशित किया जाने लगा ।
इस नामकरण से कई शोधकर्ताओं को इस प्रकार के हिंसा को इन रूपों में वर्गीकृत करने में सुविधा हुई है। इस वर्गीकरण से अधिक मीडिया रिपोर्टिंग भी बढ़ी, जैसा की पिछले कुछ सालों में इज़्ज़त के नाम पर होने वाले अपराधों के बारे में ख़बरें ज़्यादा दिखने लगीं । यहाँ यह स्पष्ट करना ज़रूरी है की इज़्ज़त के नाम पर होने वाले अपराधों का बढ़ना या फिर ऐसे अपराधों को मीडिया में ज़्यादा जगह मिलना यह दो विभिन्न बातें हैं । मीडिया में इज़्ज़त के नाम पर होने वाले अपराधों की रिपोर्टिंग के उदय पर चर्चा करते हुए, यह भी चर्चा करना आवश्यक है कि मीडिया में इन अपराधों पर किस तरह से चर्चा की जा रही है। चूंकि शुरुआत में इन अपराधों के अधिकांश मामलों की रिपोर्ट हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से की जा रही थी, जहां खाप पंचायतों की अहम भूमिका ऐसे अपराधों के पीछे थी। एक लम्बे समय तक इज़्ज़त के नाम पर होने वाले हत्याओं को सिर्फ और सिर्फ खाप पंचायत के साथ जोड़ कर ही देखा जाता था । लेकिन ऐसा पाया जा सकता है कि भारत में इज़्ज़त के नाम पर अपराधों का अधिक सरलीकरण किया जाता रहा है ।
भारतीय संदर्भ में, यह कहा जा सकता है कि इज़्ज़त के नाम पर होने वाले अपराध, परिवार के 'इज़्ज़त' को बचाने के लिए प्रथागत पितृसत्तात्मक अपराध का एक रूप नहीं है। जाति के आधार पर बटा हुआ समाज और धार्मिक अलगाव भी इस तरह के अपराधों में अपनी भूमिका निभाते हैं, क्योंकि भारतीय संदर्भ में सिर्फ महिलाओं नहीं बल्कि पुरुष भी 'इज़्ज़त' अपराधों के शिकार बनते हैं । ज़रुरत है वैसे अपराधों पर एक नज़र डालने की जहाँ दलित युवाओं के परिवार पर भी घातक हिंसा की गयी है । वैसी शादियां जहाँ दलित समुदाय या समाज के अन्य हाशिए वाले वर्गों के युवाओं ने दबंग जाति की लड़कियों से शादी की है, वहां पर हिंसा के शिकार न सिर्फ यह युवा होते हैं पर उनके परिवार के अन्य लोग भी बर्बरता झेलते हैं । इस प्रकार से यह कहा जा सकता है कि भारत में, इज़्ज़त के नाम पर हत्या या अपराध, पुरूषों और महिलाओं के खिलाफ, पितृसत्ता, जाति और धर्म आधारित कारणों से किया जाता है जो कि मौजूदा सामाजिक कोड और मानदंड को बचाने की कोशिश है ।
जब भारत में इज़्ज़त के नाम पर होने वाले कई हत्याओं का पता चल रहा था , 'अक्टूबर 2002 में, (UN Soc।al human।tar।an and cultural comm।ttee) संयुक्त राष्ट्र सामाजिक, मानवीय और सांस्कृतिक समिति में भारतीय प्रतिनिधि ने सचिव-कोफी अन्नान की रिपोर्ट के खिलाफ कड़ा विरोध किया था। इस रिपोर्ट में यह सूचित किया गया था की भारत में भी इज़्ज़त के नाम पर हत्याएँ होती हैं । इस प्रकार ही कई सारे राज्यों का भी यह रवैय्या रहा है की ऐसे अपराध उस राज्य में नहीं पाए जाते हैं । मेरे अपने शोधकार्य के समय पंजाब के कई वकीलों ने सीधे शब्दों में यह कहा था की इज़्ज़त के नाम पर हत्या सिर्फ हरयाणा की समस्या है, पंजाब की नहीं । जबकि अख़बारों में आये ऐसे मामले बताते हैं की ऐसे अपराध पंजाब और हरियाणा में सामान संख्या में दर्ज होते हैं ।
ज़मीनी खोज पड़ताल:
हरियाणा से आने वाले रिपोर्टों को ज़्यादा तरज़ीह दो कारणों से समझा जा सकता है - वहां पर खाप पंचायतों की उपस्थिति और दूसरा वहां के महिला आंदोलन का इन मुद्दों पर हस्तक्षेप । मनोज-बबली, रवीन्द्र-शिल्पा के मामले ऐसे हैं जहां खाप पंचायत के आदेशों ने मनोज और बबली की मृत्यु और उनके परिवारों की सतत् पीड़ा को जन्म दिया। इन दो मामलों में खाप पंचायतों द्वारा एक मजबूत राजनीतिक और संरचनात्मक शक्ति का दावा परिलक्षित होता है, जहां एक तरफ मनोज के परिवार के सदस्यों को लगातार मौत की धमकी मिल रही थी और दूसरी ओर रविंदर के माता-पिता को अपनी संपत्ति बेचने और गांव छोड़ने को कहा गया। इन दोनों मामलों में, पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने खाप पंचायतों के खिलाफ दृढ़ कार्रवाई नहीं की, क्योंकि इनकी नियमित बैठकें हो रही थीं और इन परिवारों पर हमले भी हो रहे थे । यह केवल स्थानीय या उच्च न्यायालयों के आदेश के बाद ही इन पीड़ित परिवारों को थोड़ी बहुत राहत मिल पायी थी ।
कुछ साल पहले 13 मार्च 2016 को, बाइक पर कुछ लोगों ने दिन के उजाले में, वी शंकर और कौशल्या पर हमला किया था। पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में दर्ज हो गई थी क्योंकि यह घटना तमिलनाडु के तिरुपुर में एक व्यस्त बस स्टैंड में हुई थी। शंकर एक दलित समुदाय से थे जबकि कौशल्या शक्तिशाली थेवर समुदाय से थीं । शंकर की मौत हो गई जबकि कौशल्या को गंभीर चोटें आई और वो बच गईं। बाद में कौशल्या के पिता ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया और हमले के लिए ज़िम्मेदारी ली । इसी प्रकार 2012 में अगड़ी जाति की लड़की एन. दिव्या और दलित लड़के आई. इलवारसन ने शादी कर ली और परेशानी तब शुरू हो गईं जब दिव्या के पिता ने अपने समुदाय के सदस्यों की टिप्पणी से परेशान होने के बाद आत्महत्या की। दिव्या के पिता की मृत्यु से तमिलनाडु के धर्मपुरी में दलित घरों पर हमले हुए । इसके अलावा पीएमके के नेता एस. रामदास ने दलित लड़कों के खिलाफ कथित टिप्पणी की, जो "अल्पकालिक विवाहों के लिए ऊंची जाति की लड़कियों से शादी करते हैं"। स्थिति तनावपूर्ण और अस्थिर होने के बाद, दिव्या ने अपने पति के घर छोड़ दिया और अपनी मां के घर लौट कर अदालत में घोषित किया कि वह अपनी मां के साथ रहना चाहेगी, न कि अपने पति के साथ। दिव्या के इस बयान के कुछ दिनों के बाद, इलावारसन का मृत शरीर रेलवे ट्रैक पर पाया गया। इसी तरह, रिजवानुर रहमान का मृत शरीर कोलकाता के रेलवे पटरियों पर मिला था, रिज़वान ने कोलकाता के एक बड़े व्यापारी की बेटी से शादी की थी। मोहम्मद अब्दुल हाकिम को उनकी पत्नी के रिश्तेदारों ने उनकी शादी के कई साल बाद हत्या कर दी थी, जब उन्होंने लंबे समय तक निर्वासन में रहने के बाद अपने गांव में वापस आने की कोशिश की थी। मोनिका के परिवार के सदस्यों और यूपी पुलिस द्वारा मोनिका डागर और गौरव सैनी को जिस तरह से परेशान किया गया था, जिसने मोनिका की मृत्यु और गौरव को पुलिस हिरासत में तमाम तरह से प्रताड़ित किया गया था ।
ऊपर प्रस्तुत किये गए उदहारण सतही तौर पर भारत में होने वाले इज़्ज़त के नाम पर होने वाले हत्याओं के स्वरुप को दर्शाते हैं। एक तरफ हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान, जहां खाप पंचायतें मौजूद हैं, वहां से आने वाले ऐसे कई अपराधों में खाप पंचायत की भूमिका पाई जाती है । ज्यादातर मामलों में खाप पंचायत के सदस्यों द्वारा निभाई गई भड़काऊ भूमिका शामिल होती है, जहां वे युवाओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लड़की के परिवार को मजबूर करते हैं । यहाँ यह भी कहना ज़रूरी है की ऐसा नहीं है की इन राज्यों में सारे ऐसे अपराध खाप पंचायत के मिलीभगत से ही हो रहे हैं । ऐसे कई मामले हैं जहां पिता, भाई या किसी अन्य पुरुष रिश्तेदार ने गुस्से में युवकों को मार डाला है ।
प्रोफेसर प्रेम चौधरी, ने अपने कई कामों में तर्क दिया गया है कि जाति के वर्गीकरण को बनाए रखने और आर्थिक कारणों के लिए भूमि पर पकड़ बनाए रखने के लिए भी समुदाय की महिलाओं को नियंत्रित करना , इन अपराधों के पीछे के मुख्य कारण हैं । फिल्म निर्देशक नकुल सिंह शॉनी के साथ चर्चा में उनकी यह राय निकाल कर आई की किसी एक मामले में स्थानीय नेता की राजनीतिक महत्वाकांक्षा खाप की आंखों में विवाहित व्यक्ति को मारने के लिए भीड़ को उकसाने के पीछे मुख्य कारण था।
अगर हम दुसरे स्वरुप पर ध्यान दे, जो पूरी तरह से परिवार के सदस्यों द्वारा किया जाता है, ऐसे में 'इज़्ज़त' के नुकसान की धारणा केंद्र बिन्दु बन जाती है । ऊपर बताये गए मामले ऐसे कुछ ही हैं, ऐसे कई सारे मामले हर रोज़ अख़बारों में छपते हैं जहाँ युवा शादी कर लेने के कई सालों बाद भी मार दिए जाते हैं । मेरे पीएचडी के शोध के समय मैंने ये पाया की पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों से, लगभग हर दिन ऐसी हत्याओं की खबरें प्रकट होती हैं। ऐसे मामलों पर अपने शोध के दौरान, मुझे कई मामलों का पता चला था, जो खबर समाचार पत्रों में छपी थी, जहां माता-पिता या रिश्तेदारों ने लड़की या लड़की और लड़के दोनों को उनके विवाह के कई सालों के बाद मार दिया था । ऐसे मामलों में, जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, हत्या का प्राथमिक कारण या तो सामुदायिक सदस्यों से निरंतर उलाहना या 'इज़्ज़त' के चले जाने की भावना शामिल थी ।
सामान्य कल्पना में, इज़्ज़त के नाम पर होने वाले अपराध ज्यादातर घर से भागने और विवाह करने के साथ जुड़े होते हैं। लेकिन हालिया समय के कई मामलों से यह मालूम पड़ता है कि महिला यौनिकता को नियंत्रित करने की चिंता हमारे समाज में बहुत गहरी हो गई है। अख़बारों में आये ऐसे कई मामलों से पता चलता है की इज़्ज़त के नाम पर होने वाले अपराध के कई मामलों में अब स्कूल जाने वाले किशोरों के साथ भी हिंसा हो रही है । ऐसे मामलों में लड़की या लड़के को उनके परिवार के सदस्यों ने मार दिया था क्योंकि वे फोन पर एक दूसरे से बात कर रहे थे। पंजाब और हरयाणा से पिछले दस साल में आये ऐसे अपराधों पर नज़र फेरने से ऐसे मामले ज़्यादा सामने आते दिख रहे हैं । इसलिए यह कहा जा सकता है कि भारतीय संदर्भ में, इज़्ज़त के नाम होने वाले अपराध अब सिर्फ पसंद से विवाह और प्रेम संबंधों तक सीमित नहीं हैं। युवतियों का अपने उम्र के लड़के से स्कूल में , फ़ोन पर या गली मोहल्ले में बात करना भी इज़्ज़त पर चोट समझा जाने लगा है । किशोरों की अपनी यौनिकता के बारे में जिज्ञासा और उससे इज़्ज़त की धारणा का जुड़ा होना उन्हें, इस तरह की हिंसा के आगे कमज़ोर बनाता जा रहा है ।
इस मुद्दे को आगे ले जाते हुए हमे यह भी देखने की ज़रूरत है की इज़्ज़त अपराध और युवा पीढ़ी की यौनिकता को नियंत्रित करने की कई अन्य प्रक्रियाएं अब केवल परिवारों और समुदायों तक ही सीमित नहीं हैं। लव जिहाद पर बहस, रोमियो स्क्वाड हमारे सामने कुछ बिंदु हैं जो युवा पीढ़ी की यौनिकता को नियंत्रित करने के लिए चिंताओं के उदय को दर्शाता है। हाल के समय में अंतर-धार्मिक विवाहों पर सांप्रदायिक रूप से बयान दिए गए हैं जिनसे एक दहशत का माहौल बनाया जा रहा है । ऐसे दहशत के माहौल में, अंतर-धार्मिक विवाहों के कई जोड़ों को अपने मत व्यक्त करना और उनके विकल्पों पर जोर देना मुश्किल हो रहा है। केरल से हादिया केस हमारे सामने एक ऐसा उदाहरण है। दो व्यस्क युवाओं के अपनी मर्ज़ी से शादी को किस तरह से आपराधिक रूप दिया गया है, वह हमारे सामने है । हमारे युवा हमारा भविष्य हैं, यह बात हम सब समझते हैं। हम सबको यह मिलकर सोचने की जरूरत है की किस प्रकार से एक तरफ तो बाज़ार युवाओं को एक स्वतंत्र नागरिक जो अपनी मर्जी से हर कुछ खरीद सकता है, की तरह भरोसा दिला रहा है और वही दूसरी ओर जब आज के युवा अपनी मर्जी से शादी करना या सिर्फ किसी से बात करने की कोशिश करते हैं तो उन्हें तरह-तरह के हिंसा का शिकार होना पड़ता है। हमारे युवा इस दवंद से जल्दी उबरते नहीं दिखते।
कामेंग ई-पत्रिका
www.kameng.in
ISSN : 3048-9040 (Online)
Rani Rohini Raman
Assistant Professor
School of Development
Azim Premji University, Bhopal
raman@gmail.com
Volume 1|Issue 1| Edition 1 | Peer reviewed Journal | July-December, 2024 | kameng.in
शोधालेख
Copyright (c) 2025 कामेंगई-पत्रिका
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-Share Alike 4.0 International License.
Editorial Office
Kameng E-Journal
Napam, Tezpur(Sonitpur)-784028 , Assam
www.kameng.in
kameng.ejournal@gmail.com
डॉ. अंजु लता
कामेंग प्रकाशन समूह
Kameng.ejournal@gmail.com
Mobile : 8876083066
नपाम,तेजपुर,शोणितपुर,असम,-784028
Dr ANJU LATA
Kameng prakaashan Samuh
Kameng.ejournal@gmail.com
Mobile : 8876083066
Napam, Tezpur,Sonitpur, Assam-784028
8876083066/8135073278
Recent Comments