कविता
मैं हूं एक कविता!!!
-सैयदा आनोवारा खातून
शिक्षक, लेखिका
विश्व नाथ इकाई (असम), शहर समता महिला काव्य मंच
दिल के भावनाओं से निकल कर,
कलम के स्याही बनकर
शब्द के सुंदर रुप लिए बन जाती हूँ
कविता !!!
हां! मैं हूं एक कविता!
मैं एक प्रेरणा भी हूं!
मैं एक आशा भी हूं!
एक विद्रोह भी हूँ !
रोशनी भी हूं
ज्वालामुखी भी हूँ !
कवि के अल्पनाओं से निकलकर
कलम के स्याही बन कर शब्द के सुंदर रुप लिए
मैं बन जाती हूँ
कविता!!!
हां! मैं हूं एक कविता !
मैं जल से नहीं ,
मैं मिट्टी से नही
मैं आग से नहीं,
ईंट और
पत्थर से भी नहीं
मैं जन्मी हूँ कवि के कल्पनाओं से ,
मन के भावनाओं से
दर्द के गहराईयों सेi
मैं समाज को निर्माण करता हूँ !
भटकों को
सकारात्मक दिशा में राहें दिखाता हूंi
धर्य और साहस का पाठ पढ़ाता हूंi
हां! मैं हूं एक कविता
कवि के कल्पनाओं से निकलकर कलम के स्याही बन कर
शब्द के सुंदर रुप लिए
बन जाती हूं
कविता!!!
हां! मैं हूं एक कविताi
हूँ ! मैं हूं एक कविताi