“ कविता का अंतिम लक्ष्य जगत के मार्मिक पक्षों का प्रत्यक्षीकरण करके मनुष्य हृदय का सामान्य स्थापना हैं ” – आचार्य रामचन्द्र शुक्ल “ उत्तम साहित्य की सृष्टि करना ही सबसे बड़ी बात नहीं है। सम्पूर्ण समाज को इस प्रकार सचेतन बना देना परमावश्यक है जो उस उत्तम रचना को अपने जीवन में उतार सके ” – आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी “साहित्य के मर्म को समझने का अर्थ है—वास्तव में मानव-जीवन के सत्य को समझना। साहित्य अपने व्यापक अर्थ में मानव-जीवन की गंभीर व्याख्या है ” – सुमित्रानंदन पन्त “ कविता का एक मतलब यह भी है कि आप आज तक और अब तक कितना आदमी हो सके ” – धूमिल “ नए और पुराने का भेद उम्र में बंटी हुई पीढ़ियों का नहीं, वैचारिक स्तर पर उसकी वस्तु से और सांस्कारिक स्तर पर दो तरह से जीने-सोचने वाली पीढ़ियों का भेद हैं”– कमलेश्वर “ कला और साहित्य के नियम भौतिक जगत तथा मानव समाज के विकास के साथ-साथ निश्चित नियमों के अनुसार परिवर्तित होते रहते हैं ” – ओमप्रकाश वाल्मीकि “ भोगे और झेले हुए यथार्थ की प्रमाणिकता को जब तक तटस्थ और अलग आदमी की दृष्टि से नहीं देखा जाएगा तब तक न तो परिवेश की संपूर्णता पकड़ में आ सकती है, न व्यापक अन्विति ” – राजेन्द्र यादव

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कामेंग ई-पत्रिका

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ISSN : 3048-9040 (Online)

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मानव सभ्यता का नदियों के साथ गहरा रिश्ता रहा है। नदी मानव सभ्यता के जीवित होने का प्रतीक है जो प्रकृति के साथ मनुष्य के गहरे संबंध को दर्शाता है। कांमेग नदी का पूर्वोत्तर भारत के इतिहास के साथ गहरा संबंध है। यह नदी इस क्षेत्र में विकसित विभिन्न संस्कृतियों के आपसी समन्वय का प्रतीक है। अरूणांचल के तांवाग जिले से निकल कर यह नदी असम के ब्रहमपुत्र नदी में मिल जाती है। नदियों के आस पास विकसित होने वाली मानव सभ्यता के विकासक्रम में कामेंग नदी की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही होगी। समय और समाज के बदलने के साथ यह भी अपने रूप बदल रही है उसी तरह जैसे साहित्य और कलाएं समय के साथ अपना रूप बदल देती है।

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कामेंग पत्रिका के प्रकाशन का इंतजार हम लंबे समय से कर रहे थे। इस पत्रिका का प्रकाशन एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। पूर्वोत्तर के रचनाकारों तथा शोधार्थियों के लिए एक ऐसी पत्रिकाओं की आवश्यकता सदैव से रही है। मैं पिछले कई दशकों से पूर्वोत्तर भारत में हिंदी भाषा व साहित्य की सेवा कर रहा हूँ। यह क्षेत्र भाषा व सांस्कृतिक दृष्टि से विविधतापूर्ण रहा है। ऐसे में हिंदी भाषा का विकास तथा विभिन्न विश्वविद्यालयों में हिंदी विभाग की स्थापना का कार्य इतना आसान नहीं था। इस कार्य को सम्पन्न करने में अनेक व्यवहारिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। ऐसे में हिंदी पत्रिकाओं का विकास तथा इस क्षेत्र से पत्रिका का संपादन करना एक सराहनीय कदम माना जा सकता है।

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  1. समाज में साहित्यिक परिप्रेक्ष्य प्रदान कर नवाचार करने की संज्ञानात्मक क्षमता विकसित करना।
  2. पूर्वोत्तर भारत के साथ-साथ समस्त भारत के समृद्ध सांस्कृतिक विविधता और अनूठी परंपराओं को साहित्य के माध्यम से अखिल भारतीय स्तर और वैश्विक मंच पर ले जाना।
  3. स्त्री केन्द्रित मुद्दों पर बहु-विषयक अकादमिक अनुसंधान का प्रसार करना।
  4. पूर्वोत्तर भारत के भाषा साहित्य के अनुवाद पक्ष पर जोर देना।
  5. हिंदीतर क्षेत्रों में हिंदी भाषा की बोधगम्य एवं सुलभ कला- संस्कृति का उन्नयन करना।

कामेंग पत्रिका की भविष्य दृष्टि सामजिक मुद्दों पर बहु-विषयक शैक्षणिक अनुसंधान को बढ़ावा देना, साहित्य के माध्यम से विश्व स्तर पर उत्तर-पूर्व भारत और भारत की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करना, उत्तर-पूर्व भारतीय साहित्य के अनुवाद पक्ष पर जोर देना और साहित्यिक परिप्रेक्ष्य प्रदान कर संज्ञानात्मक विकास और नवाचार को बढ़ावा देना |

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Format : Online, Subject : Literature, Language : Hindi, Year of starting: 2024, Frequency : Half Yearly

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